‘एक नदी थी’
लिरिसिस्ट: गुलज़ार
फिल्म: मिर्जेया
एक नदी थी
दोनों किनारे
थाम के बहती थी,
एक नदी थी
एक नदी थी कोई किनारा छोड़ ना सकती थी
एक नदी थी, एक नदी थी, एक नदी थी
तोड़ती तो सैलाब आ जाता
करवट ले तो सारी ज़मीन बह जाती
एक नदी थी
एक नदी थी दोनों किनारे…
आज़ाद थी जब झरने की तरह
आज़ाद थी जब झरने की तरह, चट्टानों पे बहती थी
एक नदी थी, एक नदी थी
एक नदी थी दोनों किनारे…
दिल एक ज़ालिम हाकिम था वो
उसकी ज़ंजीरो में रहती थी, एक नहीं थी
दिल एक ज़ालिम हाकिम था वो
उसकी ज़ंजीरो पे रहती थी, एक नहीं थी
एक नदी थी दोनों किनारे, थाम के बहती थी, एक नदी थी
एक नदी थी कोई किनारा छोड़ ना सकती थी
एक नदी थी…
किडनी फेल (गुर्दे खराब) की अमृत औषधि
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ्ने से मूत्र बाधा की हर्बल औषधि
सिर्फ आपरेशन नहीं ,पथरी की 100% सफल हर्बल औषधि
आर्थराइटिस(संधिवात)के घरेलू ,आयुर्वेदिक उपचार