यूं हसरतों के दाग ,
YUN HASRATON KE DAAG,
LATA,
अदालत
1958,
SONG
यूँ हसरतों के दाग़, मुहब्बत में धो लिये
खुद दिल से दिल की बात कही, और रो लिये
घर से चले थे हम तो, खुशी की तलाश में
यूँ...
खुशी की तलाश में
खुद दिल से दिल की बात कही, और रो लिये
ग़म राह में खड़े थे वही, साथ हो लिये
यूँ...
अब आप की ख़्हुशी इसे काँटों में तोलिये
मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
हाँ फूल ही तो है
होंठों को सी चुके तो, ज़माने ने ये कहा
खुद दिल से दिल की बात कही, और रो लिये
यूँ ...
ज़माने ने ये कहा
यूँ...
ये चुप सी क्यों लगी है अजी, कुछ तो बोलिये
खुद दिल से दिल की बात कही, और रो लिये
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